फेम्टो लेसिक: अर्थ, उपयोग और फायदे

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फेम्टो लेसिक: अर्थ, उपयोग और फायदे

जब आप किसी वस्तु को देखते हैं तो आपकी आँखों के अंदर एवं बाहर के हर अंग एक साथ कोरस में काम कर रहे होते हैं। इनमें से किसी भी एक अंग का ठीक से काम ना करना, आपके लिए परेशानियों का कारण बन सकता है। तो आइए, सबसे पहले यह समझते हैं कि देखने की प्रक्रिया में कौन-कौन से अंग शामिल हैं:

  1. कॉर्निया: आंख के सामने की सतह जो प्रकाश को अपवर्तित करने में मदद करती है।
  2. आइरिस: आइरिस आँख का रंगीन भाग है जो पुतली को घेरे रहता है। इसका काम आँखों में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना है।
  3. पुतली: पुतली के माध्यम से प्रकाश गुजरता है जिसकी मात्रा को कंट्रोल करने के लिए आइरिस पुतली के आकार को समायोजित (एडजस्ट) करता है।
  4. लेंस: पुतली के पीछे स्थित, लेंस प्रकाश को रेटिना पर केंद्रित करता है।
  5. रेटिना: आंख के पीछे की सबसे भीतरी परत जिसमें फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं होती हैं जो प्रकाश को इलेक्ट्रिक सिग्नल में परिवर्तित करती हैं।
  6. ऑप्टिक नर्व: यह रेटिना से मिलने वाली इलेक्ट्रिक सिग्नल को संचारित करके दिमाग को भेजता है।
  7. दिमाग (विज़ुअल कॉर्टेक्स): यह ऑप्टिक नर्व से प्राप्त दृश्य जानकारी (विजुअल इंफॉर्मेशन) को प्रोसेस और इंटरप्रेट करता है, जिसके बाद हम उस वस्तु (फोटो) को देखते हैं।

 

इन अंगों का समन्वय दृष्टि की जटिल प्रक्रिया को आसान बनाता है, जिससे हमें अपने आस-पास की दुनिया को देखने और समझने में मदद मिलती है। इन अंगों से जुड़ी कोई भी समस्या दृष्टि को प्रभावित कर सकती है।

दृष्टि को प्रभावित करने वाली आम समस्याओं में मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मेटिज्म हैं। इन समस्याओं का इलाज कई तरह की सर्जिकल प्रक्रियाओं से किया जाता है, फेम्टो लेसिक सर्जरी भी उन्हीं में से एक है। इसे ब्लेड रहित (ब्लेडलेस) लेसिक के नाम से भी जाना जाता है।

फेम्टो लेसिक: जानिए इस सर्जरी का अर्थ

फेम्टो लेसिक नेत्र शल्य चिकित्सा का एक उन्नत तरीका है जिसका इस्तेमाल दृष्टि से संबंधित समस्याएं जैसे कि मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मेटिज्म को ठीक करने के लिए किया जाता है। मायोपिया को निकट दृष्टि दोष भी कहते हैं जिसमें पास की चीज़ें साफ़, लेकिन दूर की चीज़ें धुंधली दिखाई पड़ती हैं। हाइपरोपिया का दूसरा नाम दूर दृष्टि दोष है जिसमें दूर की चीज़ें साफ़, लेकिन पास की चीज़ें धुंधली दिखाई पड़ती हैं। हालाँकि, एस्टिग्मेटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिससे पीड़ित मरीज़ को पास और दूर, दोनों ही स्थानों की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं। अगर आपकी दृष्टि में कोई समस्या है, पास या दूर की चीज़ें धुंधली दिखाई पड़ती हैं तो आज ही हमारे डॉक्टर से मिलें और अपनी समस्या का सटीक उपचार कराएं।

मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मेटिज्म का उपचार करने के लिए नेत्र सर्जन फेम्टो लेसिक प्रक्रिया का सुझाव देते हैं। इस सर्जरी के दौरान, कॉर्निया को एक नया आकार देने के लिए नेत्र सर्जन फेम्टो लेज़र का इस्तेमाल करके कॉर्निया में बहुत पतला और सटीक फ्लैप बनाते हैं जिससे संभावित जटिलताओं और जोख़िमों का खतरा न्यूनतम हो जाता है। फ्लैप बनाने के बाद, सर्जन एक्साइमर लेज़र का इस्तेमाल करके कॉर्निया को सही आकार देते हैं। अन्य लेसिक सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में फेम्टो लेसिक सर्जरी को एक सफल और सुरक्षित उपचार माना जाता है। अगर आप मायोपिया, हाइपरोपिया या एस्टिग्मेटिज्म के कारण चश्मा लगाकर थक गए हैं तो हमारे डॉक्टर से मिलें और फेम्टो लेसिक द्वारा चश्मे को अलविदा कहें

फेम्टो लेसिक सर्जरी के फायदे: स्पष्ट दृष्टि की ओर एक कदम, और इसका उपयोग

अनेक फायदों के कारण ही फेम्टो लेसिक नेत्र शल्य चिकित्सा आज लोगों के बीच प्रचलित विकल्प के रूप में उभरा है। अन्य सर्जरी की तुलना में यह एक ब्लेड-लेस प्रक्रिया है जिसके दौरान फेम्टोसेकेंड लेज़र का उपयोग करके कॉर्निया को एक नया आकार दिया जाता है। इस सर्जरी से आँखों में होने वाली समस्याएं जैसे कि मायोपिया, हाइपरोपिया या एस्टिग्मेटिज्म का उपचार किया जाता है। इन सब के अलावा, फेम्टो लेसिक सर्जरी के फायदे में निम्न शामिल हैं:

  1. सटीक प्रक्रिया है: फेम्टोसेकेंड लेसिक सर्जरी एक सटीक प्रक्रिया है जिसके दौरान आंख के आसपास के ऊतकों को कम से कम या नहीं के बराबर नुकसान पहुँचता है जो कि आँखों की नाजुक़ सर्जरी में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  2. निजीकृत उपचार: नेत्र सर्जन मरीज़ की ख़ास आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए फेम्टोसेकेंड लेसिक सर्जरी का निजीकृत उपचार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह अपवर्तक सर्जरी में विशेष रूप से फायदेमंद है, जहां लेसिक जैसी प्रक्रियाओं के लिए अनुकूलित कॉर्नियल फ्लैप बनाया जा सकता है।
  3. सुरक्षित प्रक्रिया: फेम्टोसेकेंड लेसिक सर्जरी की सटीकता बेहतर सुरक्षा परिणामों में योगदान करती है। नेत्र सर्जन अधिक नियंत्रण के साथ इस प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं, जिससे जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।
  4. शीघ्र रिकवरी: इस सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवर होने में कम से कम समय लगता है। आमतौर पर मरीज़ को 24-48 घंटों के लिए आराम करने और आँखों पर ज़ोर देने वाली गतिविधियों से बचने का सुझाव दिया जाता है।
  5. बेहतर परिणाम: इस सर्जरी के तुरंत बाद ही मरीज़ को बेहतर दृष्टि का अनुभव होता है। यह अक्सर आसपास के ऊतकों पर कम आघात और लेसिक की सटीकता के कारण होता है। हालांकि, कुछ मामलों में मरीज़ों को सर्जरी के बाद 1-2 दिनों तक धुंधली दृष्टि और सूरज की रौशनी के प्रति संवेदनशीलता अनुभव हो सकता है।
  6. फ्लैप-संबंधी कम जटिलता: पारंपरिक माइक्रोकेराटोम-आधारित लेसिक की तुलना में फेम्टो लेसिक कॉर्नियल फ्लैप के निर्माण से जुड़ी कुछ जटिलताओं, जैसे फ्लैप अनियमिततायों के जोखिम को कम कर सकता है।

इतना ही नहीं, फेम्टोसेकेंड लेसिक सर्जरी को पूरा होने में मात्र 20-30 मिनट का समय लगता है। साथ ही, सर्जरी के बाद मरीज़ की यांत्रिक उपकरणों पर निर्भरता कम हो जाती है। सर्जरी के एक सप्ताह के भीतर मरीज़ अच्छी तरह रिकवर होकर अपने दैनिक जीवन के कामों को शुरू भी कर सकते हैं। हालाँकि, फेम्टो सेकेंड लेसिक सर्जरी के बाद मरीज़ को नेत्र स्वास्थ्य सुझाव यानी अपनी आँखों का ख़ास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

फेम्टो लेसिक की प्रक्रिया: सर्जरी की जानकारी

अन्य सर्जरी की तरह, नेत्र सर्जन मरीज़ को फेम्टो लेसिक प्रक्रिया से पहले खुद को तैयार करने के लिए कुछ सुझाव देते हैं जिसमें शराब, सिगरेट या तंबाकू का सेवन बंद करना, आँखों में किसी भी तरह का कोई पदार्थ डालने से बचना आदि। उसके बाद, मरीज़ बताए गए दिन को अस्पताल जाता है और फिर सर्जरी की प्रक्रिया शुरू होती है। अगर आप फेम्टो लेसिक सर्जरी कराने की योजना बना रहे हैं तो प्लैनेट लेसिक के नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। 

फेम्टो लेसिक सर्जरी की प्रक्रिया में निम्न चरण शामिल हैं: 

 

  1. सामान्य मूल्यांकन: सर्जरी वाले दिन मरीज़ जब अस्पताल आता है तो सबसे पहले डॉक्टर कुछ सामान्य मूल्यांकन करते हैं और फिर सर्जरी की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
  2. एनेस्थीसिया देना: जब मरीज़ हर तरह से तैयार हो जाता है तो डॉक्टर उनकी आँखों को सुन्न करने के लिए उसे एनेस्थीसिया देते हैं। इससे सर्जरी के दौरान उन्हें दर्द या अन्य परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
  3. सक्शन रिंग का इस्तेमाल: सक्शन रिंग का इस्तेमाल करके आँख को खोलकर रखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सर्जरी के दौरान उन्हें पलक झपकने से रोका जा सके।
  4. फ्लैप का निर्माण: फेम्टोसेकेंड लेज़र का इस्तेमाल करके कॉर्निया में एक पतला फ्लैप बनाया जाता है। यह अंतर्निहित कॉर्निया उत्तक को एक्सपोज करता है जिससे सर्जन को सर्जरी करने में सहूलियत होती है।
  5. कॉर्निया को आकार देना: फ्लैप का निर्माण करने के बाद, डॉक्टर मरीज़ की दृष्टि संबंधी समस्या को ठीक करने के लिए एक्साइमर लेज़र का इस्तेमाल करके कॉर्निया को एक नया आकार देते हैं ताकि रौशनी पूर्ण रूप से रेटिना पर केंद्रित हो।
  6. कॉर्नियल फ्लैप रिप्लेसमेंट: कॉर्निया को सही आकार देने के बाद, कॉर्नियल फ्लैप को सर्जरी वाले क्षेत्र पर सावधानीपूर्वक पुनः स्थापित कर दिया जाता है।

 

फेम्टो लेसिक सर्जरी के बाद मरीज़ को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। प्रक्रिया खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद डॉक्टर दवाएं और ड्रॉप निर्धारित करने एवं कुछ सुझाव देने के बाद उन्हें को डिस्चार्ज कर देते हैं। 

अन्य दृष्टि संशोधन विकल्प: क्या है आपके लिए सही?

डॉक्टर आपके लिए किस प्रकार के उपचार का चयन करते हैं यह पूरी तरह से आपकी दृष्टि की स्थिति, उससे संबंधित बीमारी और आपकी अपेक्षाओं पर निर्भर करता है। मायोपिया, हाइपरोपिया या एस्टिग्मेटिज्म का इलाज कई तरह से किया जा सकता है। इसके नॉन सर्जिकल उपचार में चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल और सर्जिकल प्रक्रियाओं में पारंपरिक लेसिक सर्जरी (माइक्रोकेराटोम लेसिक सर्जरी), फेम्टो सेकेंड लेसिक सर्जरी (ब्लेडलेस लेसिक या ऑल-लेज़र लेसिक), वेवफ्रंट-गाइडेड लेसिक सर्जरी, टोपोग्राफी-गाइडेड लेसिक सर्जरी, कंडक्टिव केराटोप्लास्टी, एपी-लेसिक सर्जरी, लेसेक (लेज़र एपिथीलियल केराटोमिलेसिस), पीआरके (फोटोरिफ्रेक्टिव केराटेक्टोमी ), मोनोविज़न लेसिक सर्जरी, कॉन्ट्रा कॉन्ट्यूरा विजन आई सर्जरी, स्माइल आई सर्जरी, सिल्क आई सर्जरी, आदि शामिल हैं।

अनुभवी चिरुर्गियों की तलाश: डॉक्टर का चयन कैसे करें

फेम्टो लेसिक सर्जरी के लिए एक नेत्र सर्जन का चयन करने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करना आवश्यक है। अपवर्तक सर्जरी में विशेषज्ञता और सफल प्रक्रियाओं का ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले बोर्ड-प्रमाणित नेत्र सर्जन का ही चयन करें। सर्जन द्वारा की गई सर्जरी की संख्या और मरीज़ों की संतुष्टि को ध्यान में रखते हुए उनके अनुभव का मूल्यांकन करें। परामर्श के दौरान, उम्मीदवारी, पसंदीदा तकनीकों और संभावित जोखिमों पर भी चर्चा करें। 

साथ ही, नेत्र सर्जन की विश्वसनीयता के बारे में जानकारी पाने के लिए पेशेंट टेस्टीमोनियल्स को पढ़ें या उनकी वीडियो देखें। सुनिश्चित करें कि वह सर्जिकल सुविधा नवीनतम, एफडीए-अनुमोदित तकनीक का उपयोग करते हैं। परामर्श के दौरान, प्रभावी संचार और व्यक्तिगत दृष्टिकोण को प्राथमिकता दें। अनुभवी सर्जन मरीज़ की चिंताओं को दूर करते हैं, उनके प्रश्नों का सटीक उत्तर देते हैं, यथार्थवादी अपेक्षाएं निर्धारित और मरीज़ में आत्मविश्वास पैदा करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या फेम्टो लेसिक मेरी दृष्टि समस्याओं का समाधान कर सकता है?

अगर आपको मायोपिया, हाइपरोपिया या एस्टिग्मेटिज्म है तो फेम्टो लेसिक सर्जरी से उपचार किया जा सकता है।

और जान कारी आप इस गाइड तू फेम्टो लसिक सर्जरी से जाने |

 

क्या फेम्टो लेसिक सर्जरी दर्द रहित और सुरक्षित है?

इस सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की मदद से मरीज़ की आंख को सुन्न कर दिया जाता है। इसलिए प्रक्रिया के दौरान उन्हें दर्द नहीं होता है।

 

क्या फेम्टो लेसिक के बाद दृष्टि स्थिर रहेगी?

आमतौर पर सर्जरी के कुछ घंटों के बाद ही मरीज़ को तेज़ और साफ़ दृष्टि का अनुभव होता है, लेकिन कुछ मामलों में सर्जरी के बाद कुछ घंटों तक धुंधली दृष्टि या सूरज की रौशनी के प्रति तेज़ संवेदनशीलता का अनुभव हो सकता है। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

 

कैसे डॉक्टर का चयन करें जो फेम्टो लेसिक कर सकता है?

फेम्टो लेसिक सर्जरी के लिए एक अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र सर्जन का चयन करें, क्योंकि इससे सर्जरी के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं का ख़तरा कम से कम या शून्य के बराबर होता है।

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